Sidhi : क्या दिल्ली और मुंबई के लोगों को भाएगा कौदो-कुटकी का स्वाद ?

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Brijesh Pathak
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Sidhi : क्या दिल्ली और मुंबई के लोगों को भाएगा कौदो-कुटकी का स्वाद ?

Sidhi. सीधी की कोदौ-कुटकी ने अब दिल्ली और मुंबई में दस्तक दे दी है। स्व-सहायता समूह से यहां के व्यापारी बानगी ले जा चुके हैं। सब कुछ ठीक-ठाक रहा तो कुछ ही दिनों में यहां अच्छा व्यापार शुरू हो जाएगा। ऐसे में स्व सहायता समूह की महिलाएं तो आत्मनिर्भर होंगी ही स्थानीय स्तर पर भी रोजगार का अवसर बढ़ेगा।



एक साल से हो रहा है उत्पादन



सीधी जिले के सिहावल ब्लॉक के समरदह गांव में नवंबर महीने से स्व-सहायता समूह कोदौ कुटकी के खाद्य प्रसंस्करण का काम पिछले एक साल से कर रहे हैं। अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेले में सीधी की कोदौ-कुटकी को पहचान मिल चुकी है। इस कार्य में 14 महिलाएं कार्य कर रही हैं। ये कार्य आजीविका मिशन के सहायक विकास खंड प्रबंधक की देखरेख में किया जा रहा है। जय मां दुर्गा स्व-सहायता समूह समरदह रोज एक क्विंटल कोदौ खाद्य प्रसंस्करण कर 50 किलो कोदौ तैयार किया जाता है फिर से आधा और एक किलो के करीब 100 से ज्यादा पैकेट तैयार किए जाते हैं।



बाजार में 180 रुपए किलो बिकती है कोदौ-कुटकी



बाजार में कोदौ-कुटकी की कीमत 180 रुपए किलो है। स्व-सहायता समूह के लोग रोजाना 3 से 4 घंटे मेहनत करते हैं। इनको मजदूरी 200 रुपए के करीब मिलती है। इससे होने वाली पूरी आय स्व-सहायता समूह रखती है जिससे वो रोजगार को बढ़ा रही हैं। स्थानीय स्तर पर सीधी शहर की दुकानों में यहां पैक की गई कोदौ-कुटकी बेची जा रही है।



दिल्ली और मुंबई के व्यापारी ले जा चुके हैं सैंपल



जय मां दुर्गा स्व-सहायता समूह समरदह ने सोनांचल कोदोव के नाम से ब्रांड तैयार किया है। समूह की अध्यक्ष रज्जू सिंह ने बताया कि एमपी टूरिज्म के होटल, छात्रावास, महिला बाल विकास, मुंबई और दिल्ली के व्यापारी यहां से बानगी ले जा चुके हैं और उनसे चर्चा हो रही है। पैकिंग बनकर तैयार है जैसे ही आर्डर आ जाएगा तत्काल भेजा जाएगा। स्थानीय स्तर पर लोग खाने में कोदौ-कुटकी को पसंद कर रहे हैं।



70 किसान कर रहे हैं खेती



कोदौ-कुटकी की फसल की खेती पिछले 2 सालों से लगातार की जा रही है। करीब 20 एकड़ की जमीन पर ये फसल बोई  जा रही है। खोचींपुरी, रूद्र टोला और मलखम सहित कई गांव में खेती की जा रही है। लगातार अच्छी कीमत मिलने से अब यहां के किसान कोदौ-कुटकी की और बोनी कर रहे हैं। लोगों को उम्मीद है कि आगे आने वाले दिनों में ये अच्छा उत्पाद होगा और आत्मनिर्भर बनने में भी मदद करेगा।



क्या कहते हैं अधिकारी



सहायक प्रबन्धक अखिलेश त्रिपाठी कहते हैं कि जय मां दुर्गा स्व-सहायता समूह समरदह रोज एक क्विंटल कोदौ खाद्य प्रसंस्करण कर 50 किलो कोदौ-कुटकी तैयार करता है। इसके बाद आधा और 1 किलो के करीब 100 से ज्यादा पैकेट तैयार करता है। बाजार में कोदौ-कुटकी की कीमत 180 रुपए किलो है।


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